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Mohini Ekadashi May 2021: जानिए मोहिनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व

Mohini Ekadashi: मोहिनी एकादशी का विशेष महत्‍व है. इस एकादशी को बेहद फलदायी और कल्‍याणकारी माना गया है.

नई दिल्ली: मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का बड़ा महात्‍म्‍य  है. जिस तरह हिन्‍दू धर्म में कार्तिक माह बेहद पवित्र माना जाता है ठीक उसी तरह वैशाख महीने में आने वाली मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2021) को भी पुराणों में बेहद पावन माना गया है. मान्‍यता है कि मोहिनी एकादशी व्रत (Mohini Ekadashi Vrat) बेहद फलदायी है. हिन्‍दू पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार इस एकादशी (Ekadashi) के प्रताप से व्रत करने वाला व्‍यक्ति मोह-माया से ऊपर उठ जाता है. कहते हैं कि इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है. मान्‍यता है कि भगवान विष्‍णु ने वैशाख शुक्‍ल एकादशी के दिन ही मोहिनी (Mohini) का रूप धारण किया था. भगवान ने अपने इसी मोहिनी रूप (Mohini Roop) से असुरों को मोहपाश में बांध लिया और सारा अमृत पान देवताओं को करा दिया था.

मोहिनी एकादशी कब है?

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह एकादशी हर साल अप्रैल या मई के महीने में आती है. इस बार मोहिनी एकादशी 3 मई 2021 को है

मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त 

मोहिनी एकादशी की तिथि: 3 मई 2021
एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 मई 2021 को सुबह 9 बजकर न मिनट से 
एकादशी तिथि समाप्‍त: 4 मई सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक 
पारण का समय: 4 मई को दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शाम 4 बजकर 18 मिनट तक

मोहिनी एकादशी का महत्‍व 

हिन्‍दू धर्म में मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का विशेष महत्‍व है. इस एकादशी को बेहद फलदायी और कल्‍याणकारी माना गया है. मान्यता है कि इस एकादशी को व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि माता सीता के विरह से पीड़ित भगवान श्री राम और महाभारत काल में युद्धिष्ठिर ने भी अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिउ इस एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से किया था

मोहिनी एकादशी की पूजन विधि 

 मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें. 
 इसके बाद स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें व्रत का संकल्‍प लें. 
 अब घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं. 
 इसके बाद विष्‍णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं. 
 विष्‍णु की पूजा करते वक्‍त तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें. 
 इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें. 
 अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें. 
 एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं. 

मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे करें

 एकादशी से एक दिन पूर्व ही व्रत के नियमों का पालन करें. 
 व्रत के दिन निर्जला व्रत करें. 
 शाम के समय तुलसी के पास गाय के घी का एक दीपक जलाएं .
 रात के समय सोना नहीं चाहिए. भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए. 
 अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें. 
 इसके बाद अन्‍न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें.

मोहिनी एकादशी व्रत के नियम

 कांसे के बर्तन में भोजन न करें
 नॉन वेज, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्‍जी और शहद का सेवन न करें.
 कामवासना का त्‍याग करें. 
 व्रत वाले दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए. 
 पान खाने और दातुन करने की मनाही है.

मोहिनी एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार किसी समय में भद्रावती नामक एक बहुत ही सुंदर नगर हुआ करता था जहां धृतिमान नामक राजा राज किया करते थे. राजा बहुत ही पुण्यात्मा थे. उनके राज में प्रजा भी धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर भाग लेती. इसी नगर में धनपाल नाम का एक वैश्य भी रहता था. धनपाल भगवान विष्णु के परम भक्त और एक पुण्यकारी सेठ थे. 

भगवान विष्णु की कृपा से ही इनकी पांच संतान थीं. इनके सबसे छोटे पुत्र का नाम था धृष्टबुद्धि. उसका यह नाम उसके धृष्टकर्मों के कारण ही पड़ा. बाकि चार पुत्र पिता की तरह बहुत ही नेक थे. लेकिन धृष्टबुद्धि ने कोई ऐसा पाप कर्म नहीं छोड़ा जो उसने न किया हो. तंग आकर पिता ने उसे बेदखल कर दिया. 

भाइयों ने भी ऐसे पापी भाई से नाता तोड़ लिया, जो धृष्टबुद्धि पिता व भाइयों की मेहनत पर ऐश करता था. अब वह दर-दर की ठोकरें खाने लगा. ऐशो-आराम तो दूर खाने के लाले पड़ गए. किसी पूर्वजन्म के पुण्यकर्म ही होंगे कि वह भटकते-भटकते कौण्डिल्य ऋषि के आश्रम में पंहुच गया. जाकर महर्षि के चरणों में गिर पड़ा. पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए वह कुछ-कुछ पवित्र भी होने लगा था. 

महर्षि को अपनी पूरी व्यथा बताई और पश्चाताप का उपाय जानना चाहा. उस समय ऋषि मुनि शरणागत का मार्गदर्शन अवश्य किया करते और पातक को भी मोक्ष प्राप्ति के उपाय बता दिया करते. ऋषि ने कहा कि वैशाख शुक्ल की एकादशी बहुत ही पुण्य फलदायी होती है. इसका उपवास करो तुम्हें मुक्ति मिल जाएगी. धृष्टबुद्धि ने महर्षि की बताई विधिनुसार वैशाख शुक्ल एकादशी यानी मोहिनी एकादशी का उपवास किया. इसके बाद उसे पापकर्मों से छुटकारा मिला और मोक्ष की प्राप्ति हुई.

Dr. Yogendra Deswar

Chairman and CEO of MaxFate Private Limited, Yogendra brings over 25 years of profound expertise in Astrology, Vastu, Numerology, and Business Coaching. His seasoned insights have guided countless individuals and enterprises towards holistic success.

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